हनुमान जी का इतिहास वेद, पुराण और देवी भागवत किताब में उल्लिखित है। उनके पिता वायु देव थे और माता अन्जना थीं। हनुमान जी को जब जन्मा था, तब उनके शरीर में ब्रह्मा, विष्णु और शिव की शक्तियां थीं। वे बलवान और उग्र होते हुए भी भक्ति और सेवाभावी थे। रामायण के अनुसार, हनुमान जी भगवान राम का एक बड़ा भक्त थे जिन्होंने उनकी सेवा की।
महत्व
हनुमान जी का महत्व कई धर्मों में है। बहुत से लोग हनुमान जी को अपने देवता मानते हैं और उन्हें अपनी पूजा जारी रखते हैं। हनुमान जी बल, सामर्थ्य और जीते जी अपनी सेवा भावना के लिए जाने जाते हैं। उनके दर्शन से मन में ऊर्जा भर आती है और व्यक्ति के मन में घावों का होना कम हो जाता है।
हनुमान जी की पूजा कैसे करें
हनुमान जी की पूजा उनके मंदिर में जाकर और उन्हें बैठा कर पूजा करके की जाती है। पूजा के अगले दिन खासकर शनिवार के दिन लोग उन्हें तुलसी का पत्ता, लहसुन और सिन्दूर का तिलक लगाते हैं। अन्य धर्मों में भी हनुमान जी की पूजा की जाती है और उनकी सेवा की जाती है। उन्हें लोगों की मनोकामनाएं पूरी करने की क्षमता भी मानते हैं।
पूजा विधि
- पूजा करने से पहले धोती और माला धारण करें।
- अपनी पूजा के लिए उनके मध्यम सेवा के लिए उन्हें प्रणाम करें।
- पूजा में यदि लोग लहसुन का दिया जलाते हैं तो यह दुर्भाग्य को खत्म करने में मदद करता है।
- अपने मन में उनकी सेवा करें और निश्चित रूप से उनकी एकाग्रता में चित्त को लाएं।
- पूजन के बाद उन्हें खाद्य समर्पित करें।
इस पूजा विधि का पालन करके आप हनुमान जी की सेवा कर सकते हैं और उन्हें अपने जीवन के संघर्षों से मुक्ति प्रदान कर सकते हैं।
इस प्रकार, हनुमान जी का वर्णन आपको उनके इतिहास, महत्व और पूजा करने की विधि से अवगत करवाता है। हनुमान जी को सेवा करने से व्यक्ति के जीवन में अनंत सुख और खुशियां प्रकट होती हैं।
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