राजस्थान के कुलभाटा गांव में विशालाकारी चुड़ैल कालो की भयंकर कहानी सदियों से चली आ रही है। स्थानीय लोककथाओं के अनुसार, यह चुड़ैल इस जगह पर ही रहती थी और 18वीं सदी में उसने गांव की जनता पर डर और भय की लहर छोड़ दी। मान्यता थी कि कालो इस गांव की युवा महिलाओं की बलिदान करके अमरता प्राप्त करने की चाह में उन्हें मार देती थी। इसके कारण, गांव की लोगों ने अपनी युवा महिलाओं को घर से बाहर निकलने से रोक दिया, लेकिन फिर भी उन्हें इस चुड़ैल से बहुत परेशानी होती थी।
कुलभाटा गांव के रास्ते सभी बंद कर दिए गए हैं, लेकिन स्थानीय लोग कहते हैं कि कुछ लोग गांव में प्रवेश करने की कोशिश करते रहे हैं। लेकिन उन सभी की हत्या हो गई है। कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि इस गांव में एक गिरोह अवैध कार्यों को करता है, जो इस गांव की भयानक कहानियों का सहारा लेकर काम करता है। आसपास के गांवों से लापता लोग इस गिरोह में शामिल होते हैं। यह गिरोह ने इन प्रेतात्माओं की कहानियों को इतना प्रसिद्ध कर दिया है कि कोई भी इस गांव में नहीं आता। इस चुड़ैल के बारे में एक बॉलीवुड फिल्म "कालो" भी बनाई गई है, जो 2010 में यहां रिलीज़ हुई।
कालो से बचने के लिए, गांव वासी ने तंत्रिक की मदद ली और इस चुड़ैल को पकड़ लिया और उसे खाड़ी के रेतीले रेगिस्तान में दफना दिया, लेकिन कालो की मौत के बाद असली मुसीबत शुरू हो गई। यह और भी खतरनाक हो गई थी। जिसके कारण किसी को उसे मारने में कामयाब नहीं हो सका और वह गांव वासियों पर प्रतिशोध लेने लगी। चुड़ैल से डरते हुए, गांव वासी ने एक दिन में कुलभाटा गांव खाली कर दिया। आज से अधिकतर 250 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन कुलभाटा गांव आज भी भारत के भूतों से भरा हुआ और बरबाद हो गया है। कहा जाता है कि कालो अब भी इस उजड़ और खंडहर सा बना हुआ कुलभाटा गांव में घूमती है और जो भी इस गांव में जाता है, वापस नहीं आता।
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